मायावती बोलीं, आगामी चुनाव की तैयारी में जुट जाएं कार्यकर्ता,

मायावती बोलीं, आगामी चुनाव की तैयारी में जुट जाएं कार्यकर्ता,

धर्म की आड़ में अपने राजनीतिक स्वार्थ में जुटी सरकारें

HPN News 

लखनऊ ,-उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.पी. प्रमुख मायावती ने आज उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्य के वरिष्ठ पदाधिकारियों तथा जिला अध्यक्षों सहित पार्टी के अन्य सभी जिम्मेदार लोगों के साथ उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद पहली बैठक की। इस दौरान मायावती ने कहा कि धर्म की आड़  में अपनी राजनीति स्वार्थ में देश व प्रदेश की सरकार काम कर रही है। 

उन्होंने कार्यताओं आगामी आम चुनाव के लिए तैयारी बनाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि देश व समाज को संकीर्ण जातिवादी एवं साम्प्रदायिक तत्वों की जड़ से निकालने के लिए खासकर दलित व अन्य अम्बेडकरवादी बहुजनों को एकजुट होकर सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्ति के लिए संघर्ष को और मजबूत और तीव्र करने की जरूरत है। 

मायावती ने कहा कि पूर्व में कांग्रेस की तरह ही वर्तमान में भाजपा की भी गरीब विरोधी व धन्नासेठ समर्थक नीतियों एवं कार्यकलापों के विरुद्ध लोगों में वही आक्रोश व्याप्त है, जिस पर से लोगों का ध्यान बांटने के लिए यह पार्टी भी किस्म किस्म के नये जातिवादी एवं साम्प्रदायिक हथकण्डों का इस्तेमाल करती रहती है और चुनाव में इसका लाभ भी ले लेती है। विशेषकर चुनावों के समय में जनहित व जनकल्याण के किए गए लुभावने वादों को सरकार बन जाने पर उनको ईमानदारी से निभाने के बजाय उन्हें पूरी तरह से भुला देने आदि की तरह इसी प्रकार की अन्य नकारात्मक एवं घिनौनी राजनीति से आम जनहित व देश का कुछ भी भला नहीं होता है बल्कि जन समस्या यथावत बरकरार है। 

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं यूपी सरकार द्वारा भी संवैधानिक दायित्वों को निभाने के संवैधानिक कार्यों से अधिक धर्म को आड़ बनाकर अपनी राजनीति साधने में देश में कोई पीछे नजर नही आती है। यही कारण है कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य यूपी व पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी महंगाई की जबरदस्त मार झेल रहे सर्वसमाज के करोड़ों लोग गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा व पिछड़ेपन आदि का अंधकार जीवन जीने को लगातार मजबूर हैं, यह अति-दुखद। देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा धनबल, बाहुबल व सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से मुक्त पाक-साफ चुनाव कल की तरह आज भी बड़ी चुनौती। 

ऐसे में आम जनता का चुनावी तंत्र पर विश्वास की कमी संविधान व लोकतंत्र के लिए खतरे की घण्टी। इसीलिए संविधान के हिसाब से चेक एण्ड बैलेन्स की जो व्यवस्था है उसको लेकर सभी लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभानी होगी।

 इसके साथ ही, अडाणी समूह व संभल मस्जिद को लेकर उभरा विवाद ऐसे चर्चित मुद्दे हैं जिसको लेकर सरकार व विपक्ष में जबरदस्त तकरार और टकराव के कारण संसद की कार्रवाई सुचारू रूप से नहीं चलने से वर्तमान शीतकालीन सत्र का महत्व शून्य होना कितना उचित? यूपी व उत्तराखंड दोनों राज्य में पार्टी संगठन की मजबूती तथा सर्व समाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए मण्डल और जिलेवार समीक्षा में उल्लेखित कमियों को दूर करने के लिए कहा और इस दौरान यह पाया गया कि, पूर्व में कांग्रेस की सरकार की तरह ही, वर्तमान में भाजपा की गरीब विरोधी व उनकी धन्नासेठ समर्थक नीतियों एवं कार्यकलापों के विरुद्ध लोगों में आक्रोश व्याप्त है जिस पर से लोगों का ध्यान बांटने के लिए ही यह पार्टी भी किस्म  के नये जातिवादी, साम्प्रदायिक व संकीर्ण हथकण्डों का इस्तेमाल करती हैं और चुनाव में इसका लाभ भी ले लेती है।

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